हम्पी, कर्नाटक राज्य में स्थित, एक प्राचीन नगर है जो अपने समय की भव्यता और शिल्पकला के लिए विख्यात रहा है। इस नगर का एक ऐतिहासिक महत्व है, जो आज खंडहरों में बदल चुका है, लेकिन इसके अवशेष आज भी मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
यह नगर विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था और 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इसकी समृद्धि अपने चरम पर थी। हम्पी के खंडहर आज यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुके हैं। यहाँ के मंदिर, महल, और अन्य संरचनाएँ न केवल वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह उस समय की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक संरचना की भी झलक प्रदान करते हैं।
विरुपाक्ष मंदिर यहां का एक प्रमुख आकर्षण है, जो भगवान शिव को समर्पित है और आज भी पूजा-अर्चना के लिए उपयोग होता है। इसके अलावा विट्ठल मंदिर अपनी संगीतमय स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है, जो आज भी कहीं न कहीं संगीत की धुन का एहसास कराते हैं। इनके अलावा हेमकूटा पहाड़ी पर बिखरे अनगिनत मंदिर और मूर्तियाँ उस समय की धार्मिक आस्थाओं का परिचय देती हैं।
हरikai कोलु और विजय विठला मंदिर का पत्थरों का रथ इस नगर की इंजीनियरिंग और कलात्मक उत्कृष्टता का प्रमाण हैं। यह रथ, कारीगरों की ऐसी अद्वितीय प्रतिभा का नमूना है, जिसकी तुलना आज भी करना मुश्किल है।
हम्पी केवल धार्मिक और राजसी इमारतों तक ही सीमित नहीं है। इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य - तुंगभद्रा नदी के किनारे बसे इस नगर के चारों ओर ग्रेनाइट की चट्टानें, हरियाली और बलुआ पत्थर की संरचनाएँ इसे और आकर्षक बनाते हैं।
हम्पी के खंडहरों में घूमते हुए बीते समय की कल्पना करना आसान हो जाता है। यह स्थान अतीत के गौरव को संजोए हुए हमारे वर्तमान से जोड़ता है। आधुनिकता की बाढ़ में, हम्पी जैसे स्थान हमें अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर की ओर लौटने की प्रेरणा देते हैं। यह इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक खजाना है, जो भारतीय संस्कृति को समझने और महसूस करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
हम्पी के खंडहर हमारी सांस्कृतिक धरोहर और वास्तुशैली के अद्वितीय उदाहरण हैं, जो हमारे समृद्ध अतीत की कहानी कहते हैं। यह स्थान दूर-दूर से आने वाले यात्रियों के लिए प्रेरणा और आश्चर्य का स्रोत बना हुआ है।